आजकल बड़े बड़े लोगों में पगल-युद्ध छिड़ा हुआ है। अन्ना ने दिग्गी को पूना के पागलखाने भेजने की बात कही, तो दिग्गी ने अन्ना को ग्वालियर का रास्ता दिखा दिया। अपने हताशाजाम पापू जी ने राहुल को बबलू बता दिया। जवाब में वो उनको खूसट बता देंगे, और क्या ? कुछ लोग बंटियों को पकड़-पकड़ के उनके गले में भ्रष्टाचार से गली हुई रस्सियों से शिष्टाचार की घंटियाँ बाँधने का निरर्थक प्रयास कर रहे हैं। एक आँख झपका झपका कर एक पिंकी टाइप साधू बाबा सरकार के पीछे पड़े हैं कि "भैया मैं तो कारा-धन खिलोना लै हूँ। पब्लिक भी तो ठीक उसी तरह पगलिया गई है जैसे कि भू भू की तशरीफ़ में पैट्रोल का फ़ोहा छुआ दिया जावे तो वो इकड़े-तिकड़े भागता है, है ना। यार कसम से ऐसा लगता कि उठा कर के लाठी, एक तरफ़ से सबको जो सूँटना शुरू करो ना तो दो चार सौ साल थुथरते ही रहो। हद हो गई है, अब तो इन सबको डायरेक्ट पीटने की बनती है। अदरवाईज़ आय थिंक इट विल बी टू लेट। एम आय राँग ?
हम भी पगले, तुम भी पगले, पगला सब संसार
किलर झपाटे, चला के लठिया, कर दो अब उपचार
3 टिप्पणियां:
क्यों बे झपाटे तू जील के ब्लौग पर उसका अपमान करनेवाला कौन होता है| उसका भाई दिवस अभी आकर तेरी चड्डी उतार देगा|
किलर झपटा जी मैं चाहता हूँ की आप अपने ब्लौग पर एक जनमत संग्रह कराएं और सबसे यह पूछें की दिव्या जील वाकई पागल है या शातिर औरत है और यह सब जानबूझकर करती है........
आपके आगाज़ ,आपकी पहलवानी में दम है,
बेचारे भाई को बेटा बनाने में 'किलर' का जनम है...!
और हाँ ये दूध का जला तो सुना था ये मुआ सूखी झील का जला कौन है ?
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