मंगलवार, 22 मार्च 2011

जिस हमारीवाणी में डॉ. अनवर जमाल, सलीम खान जैसे इस्लामी कट्टरवाद फैलाने वालों को हटाने का माद्दा न हो, उसके मार्गदर्शक मंच में पूरा हिन्दुस्तान जुड़ भी जाये तो क्या है?

जिस हमारीवाणी में डॉ. अनवर जमाल, सलीम खान जैसे इस्लामी कट्टरवाद फैलाने वालों को हटाने का माद्दा न हो,  उसके मार्गदर्शक मंच में पूरा हिन्दुस्तान जुड़ भी जाये तो क्या है ?
कभी फुरसत निकाल कर उनके काँटेदार ब्लागों पर भी नजर मार लिया कीजिये और फिर अंतर्मथन कीजिये खुशदीप जी, दिनेशजी, सतीश सक्सेना जी, समीरलालजी, बवाल जी, गिरीश बिल्लोरे जी, ललितजी, ताऊजी, मासूम जी, गीता जी, महफ़ूज अली जी, अनूप जी, दिव्या ज़ील जी आदि आदि महान ब्लॉगरगण। क्योंकि आप सबने मिलकर जो भी मॉरल पुलिसिंग मेरे अगेन्स्ट की है वो सरासर पार्शलिटी है।
गॉड इज़ नॉट गोईंग टु माफ़ यू ऑल फ़ॉर दिस।

मंगलवार, 15 मार्च 2011

दिनेश जी, हमारीवाणी इज़ अ बेकारीवाणी

ब्लॉगजगत में शुचिता लाने के लिए ही मैनें जस की तस टिप्पणियाँ रखी थीं। मगर अधीरता के चलते कुछ  ब्लॉगर लोग और हमारीवाणी इसे समझ नहीं सके और मुझे हटा दिया। मत घबराइये। जल्द ही एक एग्रीगेटर और आने वाला है जो चिट्ठाजगत जैसा ही होगा और वहाँ किसी ब्लॉगर के साथ इस तरह का सलूक करना किसी के बस में नहीं होगा।
मैने कभी भी किसी को गाली नहीं दी। मैं तो बतलाना चाहता था कि देख लो ब्लॉगरों यहाँ लोगों के दिलों में क्या क्या गंदगी है ? मगर आप लोगों ने वो करने ना दिया।
और अब ये जस्टिफ़िकेशन वाले लेख लिखने की आप लोगों को भी क्या जरूरत है बार बार ? बतलाइये ना दिनेश जी ?
मेरी नजर में तो बिल्कुल बेकार है आप लोगों की यह हमारीवाणी, जिसमें दिन भर कुछ लोग बस हिन्दू मुस्लिम दंगा मचाए रहते हैं और है क्या वहाँ ? शेम शेम।

मंगलवार, 1 मार्च 2011

ये इस्लाम धर्म भी कोई धर्म है लल्लू .... ?

देख रहा हूँ कि कोई एहसास की परतें- समीक्षा  नामक भाई साहब, मुफ़्ती-ए-आज़म ब्लॉगिस्तान मौलाना मोहम्मद महमूद अहमद डॉ. अनवर जमाल साह्ब से बेवजह रगड़ा  मोल लिए हुए हैं। बट व्हाय ?

जबकि आप डॉ. साहब के द्वारा पूछे गए एक भी सवाल का जवाब नहीं दे सकते हैं। दि सवाल्स आर एज़ अंडर :-

1. क्या आप आज के युग में विधवा को सती कर सकते हैं ?
2. क्या आप आज की व्यस्त जिंदगी में तीन टाइम यज्ञ कर सकते हैं ?
3. क्या आप आज अपने बच्चों को वैदिक गुरूकुल में पढ़ाते हैं ?
4. क्या आपके पिताजी 50 वर्ष पूरे करके वानप्रस्थ आश्रम का पालन करते हुए जंगल में जा चुके हैं ?
5. और अगर वह जंगल जाने के लिए तैयार नहीं हैं तो क्या आप उनसे अपने धर्मग्रंथों का पालन करने के लिए कहेंगे ? 

ऎण्ड माय जवाब्स आर एज़ अंडर :-
१. आज के युग में पत्नियाँ विधवा हो कहाँ पाती हैं भैया ? वो तो उसके पहले ही डिवोर्स ले चुकी होती हैं और डिवोर्सी को सती करना हिन्दू धर्म का हिस्सा नहीं है।
 अब आप जमाल बाबू (काहे के डॉ.) से ये पूछें कि क्या वे अपनी बीबी को तुरंत में तलाक देकर उनका हलाला मेरे जैसे किसी मुसलमान से करवा कर इद्दत विद्दत करके उसी शिद्दत से स्वीरकार  करेंगे ?
 2.जमाल बाबू (काहे के डॉ.) से ये पूछें कि क्या वे उनकी लस्त और हौसला पस्त जिंदगी में पाँच टाइम नमाज़ पढ़ सकते हैं ? 
 ३.  क्या जमाल बाबू (काहे के डॉ.) अपने बच्चों (एक से तो ज्यादा ही होंगे) को दारुल उलूम में पढ़ाते हैं ? 
४. क्या जमाल बाबू (काहे के डॉ.) के वालिद साहब (मुसलमानो के बाप को पिता नहीं वालिद कहते हैं अंडर्स्टुड) उनकी इन घटिया और वाहियात हरकतों से घबरा कर ५० क्या २५ साल पूरे करके ही व्हाया रेगिस्तान  भटकते हुए जहन्नुम की रवानगी डाल चुके हैं ?  

५. अरे नही किलर झपाटे, जमाल के वालिद तो हमसे ये कह रहे थे कि जमाल की अक्ल ठिकाने जब तक नहीं आ जाएगी तब तक वो जहन्नुम में नहीं जायेंगे बल्कि जमाल की तीन और वालिदायें लायेंगे और उनसे १२ और जमाल पैदा करेंगे फिर जहन्नुम में जायेंगे क्योंकि आजकल अच्छे मिस्त्री मिलते कहाँ हैं भाई ? हा हा बुरा ना मानो शिवरात्रि है।