गुरुवार, 25 नवंबर 2010

लाल-बवाल की जुगलबंदी और ९९ (निन्यान्नवे) का चक्कर

प्यारे दोस्तों,
पिछले दिनों जागरण पर एक यू-ट्यूब न्यूज़ पढ़ रहा था, "एक नौजवान ने दिल्ली की सड़कों पर बवाल काटा"।
मैंने कहा यार ये बवाल किया या हुआ तो सुना था पर ये काटा क्या है ?
झट गूगल सर्च पर हिन्दी में टाइप किया और देखा तो वहाँ पहला सर्च आप्शन निकल के आया :-

!! लाल और बवाल --- जुगलबन्दी !!

पढ़ना शुरू किया तो पढ़ता ही चला गया। वहाँ उड़नतश्तरी वाले  महान ब्लागर समीर लाल जी की फ़ोटो भी थी और उनके साथ ही तस्वीर थी एक काले चश्मे वाले वकील साब की। मालूम पड़ा के ये हैं बवाल भाई। बहुत खूब।

पहले मैंने सोचा के वकील तो बवाल करता ही है इसमें नया क्या है ? लेकिन अध्यन करने पर पता चला के ये तो चार्टद अकांउटेंट और वकील की बहुत ही बेहतरीन जुगल्बंदी की बातों से भारा हुआ ब्लाग है। पिछली ढेर सारी पोस्टें पढ़ीं। भैया मैंने इतनी शायरी पढ़ी है जिंदगी में लेकिन उड़ती उड़ती। पर सच कहूँ ऐसा धमाकेदार स्टाइल कभी नहीं देखा। बापरे ये लाल-और-बवाल क्या चीज हैं यार ? 

दोनों की जुगलबंदी के कमाल ने मुझे इनके प्रति नतमस्तक कर दिया है। अपन तो कैजुअल टाइप के ब्लागर हैं अभी ठीक से समझ में भी नहीं आता के ब्लागिंग करते कैसे हैं ? मगर इनको पढ़कर इंटरेस्ट जाग गया है। लालजी की फ़ोटॊ पर लिंक है उड़नतशतरी का। वहा जाकर उनके लेख वगैरह भी पढ़े। बहुत ऊँची बातें लिखी हैं।
मेरे दद्दू ईंडिया से कुछ किताबें मगाते हैं जैसे कदम्बिनी नवनीत। कभी कभी मैं उनसे लेकर पढ़ता हूँ। लाल जी बिल्कुल वैसी ही हाई हिन्दी  लिखते हैं। और बवाल भाई तो गजब की उर्दू में लिखते हैं। दोनो के जोइंट लेखन पे आदमी पीएचडी तक सकता हैं। 
मगर लाल-बवाल की जुगल्बंदी पर पिछले १६ मई से जैसे गिर्हण लगा हुआ है। लगता है दोनों मे खटपट हो गई है, तभी तो 99 वीं पोस्ट के बाद इस जुगलबंदी पर कोई पोस्ट ही नहीं लिखी गई।
क्या बात है ? क्या इतना उम्दा ब्लाग हमेशा के लिए बंद हो चुका है ?  यदि नहीं तो लाल और बवाल को वापस जुगलबंदी करनी चाहिए और इस 99 के चक्कर से निकल कर सेंचुरी मारना चाहिये। हाँ के ना ? क्यों ब्लागर भाइयों और बहनों ?

समीर लाल जी और बवाल जी के साथ साथ आप सब ब्लागर भाइयों बहनो को नमस्कार ।