रविवार, 17 अप्रैल 2011

क़ुरबानी का बकरा सलीम ख़ान और उसके प्यारे इब्राहीम के गप्पोड़ी खाब

एक बार पैग़म्बर इब्राहीम (अ.) के ख़्वाब में आया कि तुम अपनी सबसे ज्यादा अज़ीज़ चीज़ अल्लाह की राह में क़ुर्बान करो तो उन्होंने तमाम चीज़े दान की, बहुत सारे जानवर अल्लाह के राह में क़ुर्बान किये. मगर उन्हें लगातार ख़्वाब आते रहे और वो क़ुर्बान करते रहे. फ़िर उन्होंने सोचा कि मुझे तो सबसे ज्यादा अज़ीज़ मेरा बेटा (इस्माईल अलैहिस्सलाम) ही है.

तो उन्होंने इसका तज़किरा इस्माईल (अ.) से किया तो उन्होंने कहा कि जब अल्लाह हुक़म है तो आप उस पर ज़रूर अम्ल में लायें, मैं तैयार हूँ.

इब्राहीम (अ.) ने फ़िर अल्लाह के हुक्म के मुताबिक़ अपने प्यारे और सबसे अज़ीज़ बेटे इस्माईल (अ.) को  क़ुरबानी के नियत से उन पर छुरी चलाई. लेकिन छुरी को अल्लाह का हुक्म हुआ कि वह उनके प्यारे पैग़म्बर का बल भी बांका न करे. इस तरह स्वर्ग से एक दुम्बा आया जो इस्माईल (अ.) की जगह पर आ गया और वह कुर्बान हुआ. मैं बताता चलूँ कि इब्राहीम (अ.) की इस अदा हो और फ़रमाबरदारी को इतना पसंद फ़रमाया कि क़यामत तक इसे मुसलमानों पर फ़र्ज़ कर दिया. जिसे मुस्लिम लोग बकरा-ईद के रूप में कुर्बानी देकर मानते हैं.

अब सुनो भैया लोगों,
शंकर भगवान ने गणेश जी की गर्दन काटकर हाथी की गर्दन जोड़ी तो  सलीम खान जो कि ठीक से अपने दिमाग का स्क्रू तक नहीं जोड़ पाते कहते हैं कि ये गप्प है ऐसा हो नहीं सकता। 

दूसरी तरफ़ इनके अल्ला मियाँ जिनकी एक ठो ढंग की तस्वीर तक इनके पास है नहीं, वह छुरी को जिसमें जान भी नहीं है को हुक्म देते हैं कि वह उनके प्यारे पैग़म्बर का बल भी बांका न करे और हिन्दुओं के स्वर्ग से एक दुम्बा भेजते हैं (क्योंकि इनके मुसलमानों में जन्नत वन्नत तो होती ही नहीं है ना हा हा) जो इस्माईल (अ.) की जगह पर आ गया और वह कुर्बान हुआ.हा हा। सब का सब आटोमेटिक ? वैरी स्ट्रेंज। दिल्लगी बहुत है इस्लाम में। हा हा।
अरे सीधे क्यों नहीं कहते कि यार के उस दिन मटन खाने का बहाना चाहिये होता है और कुछ नहीं। कुर्बानी वुरबानी का फ़ालतू बहाना क्यों करना है के नहीं।
एक बात बताऊँ सलीम, जमाल और बुल्ले (हरीश) मियाँ,  आपके अल्ला मियाँ जिस दिन आपकी कुर्बानी सच में कुबूल फ़रमा गये और एक आध दुम्बा भी उन्होंने अपने हलक में उतार लिया ना तो आप लोग ही सब के सब अपने अपने दुम्बे लेकर भाग छूटोगे ये कहके कि आज से अल्ला मियाँ ने मुसलमानों पर ये फ़र्ज़ आयद किया कि अब वे दुम्बे की जगह अपनी औकात के मुताबिक मच्छरों की कुरबानियाँ दिया करें।

हा हा हा।

9 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बहुत अच्छा फरमाया है आपने झपाटा जी
सलीम खान की बाते सुन के तो कोई चार साल का बच्चा भी उसको जूते मारे.
साले के पास दिमाग है ही नही .
और एक उसका गुरु जमालगोटा साला पक्का हरामी है.
जब हजार हरामी मरे थे तब साला पैदा हुआ था.

बेनामी ने कहा…

आपकी ईमानदारी और बेबाक राय के हम कायल हैं झपाटा जी.

इसलिए हम मानते हैं कि आप हिंदी ब्लागिंग में सबसे ईमानदार ब्लॉगर हैं.
प्रणाम !!

एक लखनवी बाशिंदा एट पंजाब ने कहा…

अबे किलर झपाटे,
हा हा हा तू यार इतनी आसानी से इन मुल्लों टुल्लों की गाँड़ कैसे मार लेता है बे। गजब का लंड पाया है तूने। ये भोसड़ी के सलीम जमाल वगैरह दिन भर मिलकर सबकी लेते रहते हैं बट एट लास्ट नॉट द लीस्ट ब्लॉग में एकमात्र गन्दा बन्दा तू ही है जो इनकी फ़ाड़ के रख देता है। यार कमाल कित्ता तुसी पट्ठे।

मिसिर ने कहा…

सलीम तो खुला सांड
तू काहे छिपाता अपनी...ड

दुबे ने कहा…

किलर झपाटा शेर हैं, बाकी सब बकरियां हैं.

बवाल ने कहा…

कुछ इन फ़सादात से उबरिए पहलवान जी। आपकी पोस्टों और आपके द्वारा दूसरों की पोस्टों पर की गई टिप्पणियों में लिटरेचर और अदब दोनों नज़र आते है। उन्हें सामने लाइएगा तो ब्लॉग सार्थक लगेगा।

हल्ला बोल ने कहा…

कुछ और नया सोचिये जनाब, क्यों इन लोंगो का प्रचार कर रहे हैं.
समय मिले तो इस पोस्ट को देखकर अपने विचार अवश्य दे
देशभक्त हिन्दू ब्लोगरो का पहला साझा मंच
इनका अपराध सिर्फ इतना था की ये हिन्दू थे

हरीश सिंह ने कहा…

किलर झपाटा जी नाम के अनुरूप काम कीजिये, क्या वाहियात काम में लगे रहते हैं. कुछ सार्थक विचारधारा अपनाईये, जय श्री राम

किलर झपाटा ने कहा…

मिस्टर बुल्ले मुसलमान याने हरीश सिंह जी,
वाह वाह क्या कहना! अब मेरे शब्द मुझ पर ही छोड़ने लगे। मेरा तो मक्सद ही सलीम जमाल और आप जैसों धर्म के यूज़लैस किस्म के ठेकेदारों के ठीक पीछे उसी तरह पड़े रहना है जैसे आप दूसरों के धर्म के पीछे पड़े रहते हो और उसकी खिल्ली उड़ाते रहते हो। अब खुद की खिल्ली उड़ रही है तो मुँह छुपा के भाग छूटते हो। कह रहे हो अपने नाम के अनुरूप काम कीजिये। जो नाम है वही तो काम कर रहा हूँ। ध्यान से देखना तो सीखिये पहले। अब ध्यान रहता है भगवान की खिल्ली उड़ाने में तो दृष्टि कहाँ से पावे। ही ही। मैं वाहियात नहीं वाह वाह हयात काम करता हूँ और आप लोगों के वाहियात कामों के बारे में लोगों के विचार तो नज़र आ ही रहे हैं। हा हा। बाय।