भाइयों और बहनों,
चाहे कोई इस बात को माने या न माने लेकिन मेरा मानना ये है कि डॉ. साहब ब्लॉगजगत के नग हैं। ज़रा उनके ब्लॉग पर लिखी अबाउट मी को देखिए --
- "दुनिया बहुत से दार्शनिकों के दर्शन, कवियों की रचनाओं और लोक परंपराओं के समूह को हिन्दू धर्म के नाम से जानती है। मनुष्य की बातें ग़लत हो सकती हैं बल्कि होती हैं। इसलिए उन्हें मेरे कथन पर ऐतराज़ हुआ लेकिन मैं ईश्वर के उन नियमों को धर्म मानता हूं जो ईश्वर की ओर से मनु आदि सच्चे ऋषियों के अन्तःकरण पर अवतरित हुए। ईश्वर के ज्ञान में कभी ग़लती नहीं होती इसलिए धर्म में भी ग़लत बात नहीं हो सकती। ऋषियों का ताल्लुक़ हिन्दुस्तान से होने के कारण मैं उनके धर्म को हिन्दू धर्म कहता हूं। मैं धर्म के उसी सनातन स्वरूप को मानता हूं जो ईश्वरीय है और एक ही मालिक की ओर से हर देश-क़ौम में अलग-अलग काल में प्रकट हुआ। उसमें न कोई कमी कल थी जब उसे सनातन और वैदिक धर्म के नाम से जाना जाता था और न ही कोई कमी आज है जबकि उसे ‘इस्लाम‘ के नाम से जाना जाता है।"
- चर्चाशाली मंच, कमेंट्स गार्डन, अहसास की परतें, प्यारी माँ , वेद कुरान और इस्लाम धर्म जैसे बड़े बड़े ब्लॉग और उनमें किए गए धार्मिक विष्लेषण क्या नहीं बताते धर्म संबंधी गुत्थियों के बारे में।
- यदि आप ठंडे दिमाग से उन्हें पढ़ें तो आपको अहसास हो जाएगा कि इस्लाम से बेहतर कोई मजहब नहीं है और डॉ. साहब से बेहतर कोई लेखक नहीं है। जमाल साहब इस ग्रेट। उनका कोई भी विरोध नहीं कर सकता।