शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

किलर झपाटे पर मर मिटी बेचारी दिव्या ज़ील

जी हाँ, फ़लानों और ढिकानों,

आप सबको अत्यंत दुख के साथ सूचित किया जाता है कि हमारे ब्लॉग-जगत की एकमात्र लौह महिला (जंग खाई हुई) डॉ. दिव्या ज़ील अपने सबसे प्रिय ब्लॉगर किलर झपाटे के प्यार में पागल होकर उन पर मर मिटीं और ब्लॉगजगत से इंतकाल फ़रमा गईं। यह समाचार ज़ील जी के ब्लॉग पर कल ही प्रकाशित हुआ था। खबर जंगल में आग की तरह फ़ैल गई। श्रद्दांजलियों का ढेर लग गया है। बहुत दुख की बात है कि उनका दिल भी आया तो इस जुल्मी किलर झपाटे पर। दुष्ट कहीं का। ज़ील की मोहब्बत को समझ नहीं सका। ऐसे तो कई अन्य ब्लॉगरों ने भी ज़ील के दिल को जीतने की कोशिशें की थीं लेकिन वे सभी लौह महिला के शब्द प्रहारों को बरदाश्त न कर पाने के कारण उन्हें अपनी बहन बना बैठते थे। कोई दीदी तो कोई छोटी बहन। जबकि वे तो टेस्ट करने के लिये प्रहार करती थीं कि ये असली मर्द है भी कि नहीं ? च च च कोई ना मिला। चलिये कोई बात नहीं। इस चक्कर में ज़ील के पास नामरद भाइयों की फ़ौज तो तैयार हो ही गई। छोड़िये।
अब आप लोग तो सब कुछ जानते ही हैं ना कि स्त्री के दिल की थाह कोई पा सका है भला ? पाजी किलर झपाटा ! हाँ नहीं तो, वार पर वार सहता गया और वार पर वार करता भी गया। इतना भी ना समझ सका कि ऐसे में ज़ील के दिल में उसके जैसे जानदार मर्द के प्रति अचानक ही प्यार पनप जायेगा और  ..........हटाइये अब बात करके क्या फ़ायदा ? वो तो चली गईं कभी लौट कर ना आने के लिये। अब घूमते रहना बेट्टा झपाटे विरह में।  जब वो खाली झूले पर भूतनी बनकर तेरे घर में रात में रोज बारह बजे गाना गायेगी ना सफ़ेद साड़ी पहन कर, बीस साल बाद तक और उस समय तक अपनी प्यारी बहन के गम में झाड़फ़ूँक स्पै‍शलिस्ट झोलाछाप डॉक्टर रुपेश (इन्हें आदमीयों तक को बहन बनाने का शौक है क्योंकि ये भड़ास पर मुझे बहन जी बहनजी कह रहे हैं बार बार ज़ील की मौत के गम में)  जा चुके होंगे हम सब को छोड़कर, तब पूछेंगे कि देख लिया ना ज़ील के प्यार को ठुकराने का नतीजा ?

भगवान ज़ील की प्रीतात्मा (नॉट प्रेतात्मा अण्डर्स्टुड यू नॉटी ब्रदर्स ऑफ़ ज़ील) को शांति प्रदान करे और ............२ मिनट का मौन रखेंगे सब लोग।

15 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

जील एक विक्षिप्त आत्मा है .. देखो मरने के बाद चुड़ैल बनकर फिर आ गयी

बेनामी ने कहा…

haa haa haa haa.
yar jhapaate maja aa gaya.
kya ijhaare mohabbat kee hai toone. zeal ko pyaar se maar diya !. bahut badmaash hai be too. ek baat bolun teri akal kee taareef karanee padegee yaar.
kahan se soojhta hai be tere ko ye sab ? haa haa.

गधे से अपनी माँ चुदवाने वाला रूपेश ने कहा…

बहन किल्ली झपाटिन
असल में ये तुम्हें समझाने के लिये लिखा था जैसे तुम अंग्रेजी और हिन्दी को जोड़ कर प्रयोग करती हो। इस विषय पर कई बार लोगों ने तुम पर अंग्रेज और देसी के वर्णसंकर होने का आरोप लगाया लेकिन मैं जानता हूं कि मेरी बहन वर्णसंकर नहीं है बस थोड़ा बहुत अंग्रेजी सीख गयी है तो बीच बीच में पेले रहती है। जैसे तुम्हारा छद्म नाम तुम लिखती हो किलर झपाटा, इसमें किलर अंग्रेजी का शब्द है और झपाटा देशज वैसे ही मैंने तुम्हें नीम हक़ीम का अर्थ समझा दिया है। आप अब भी चाहें तो शास्त्रार्थ की तमन्ना पूरी कर सकती हैं लेकिन भाई को "यार" की संज्ञा देकर आप कैसी जनरल नॉलेज जता रही हैं ये क्या हाँगकाँग की परम्परा है कि भाई को यार बना लिया जाए या छठ पूजा करने वालों की परम्परा में नया अध्याय जोड़ लिया है?आप क्या कहना चाहती हैं मैं समझ रहा हूँ कि मेरी बहन किल्ली झपाटिन एक अतिकामीविकृत मनोरुग्णता की स्थिति से गुजर रही है जो कभी भाई के साथ कंडोम लगा कर बलात्कार करना चाहती है और कभी भाई को यार लिख रही है। जब आप इतनी बीमार हैं तो मैं एक भाई और साथ ही डॉक्टर होने के नाते तो हँस नहीं सकता लेकिन आपका हँसना तो बीमारी का एक गम्भीर लक्षण है जो यदि आप भड़ासायुर्वेद का उपचार लें तो सही हो जाएगा।
जय जय भड़ास

डॉ. रूपेश की सुलगी हुई झाँट ने कहा…

अबे रूपेश, लौड़े के बाल, यहाँ तेरी बहन ज़ील नहीं रही और तुझे झपाटाबाजी सूझ रही है। गाँडू..............कहीं के चल मातम मना। चुदऊ का चुदऊ ही रहा तू।

रूपेश के मुँह में सूअर की टट्टी ने कहा…

ओ किलर झपाटे को बहन बताने वाले गाँडू तेरी गाँड़ में फ़ोड़ा हो गया है क्या बे जो ठीक से बातचीत का तालमेल नहीं बैठा पा रहा। ज़ील को इतना चाहता था बहन के रूप मे। जो सबको बहन बहन बोल रहा। चौप्प।

किलर झपाटा ने कहा…

हाँ कुरुपेश जी आप मुझसे ही मुखातिब रहे आइये। कम से कम बाकी लोग तो आपके पागलपन से बचे हुये हैं और दिल ही दिल में मुझे थैंक्स कह रहे हैं अच्छा किया झपाटे जो इन मिस्टर झोल, (भड़ासायुर्वेदी) विकृत मानसिक रोगी से बचा लिया।
बहुत दुख हुआ इस बात पर कि मेरी वजह से आप जैसे तथाकथित महान चिकित्सक के दिमाग का जनाज़ा निकल गया और वो बिल्ली के गू बन गये। ना लीपने के रहे ना पोतने के।
मेरे ब्लॉग पर आइयेगा। वहाँ मैं आपको रीसाइकिल करके कम से कम गोबर में कन्वर्ट करवा दूँगा ताकि आप किसी काम तो आ सकें।

हा हा मुझ पहलवान से कह रहे हो-
"लेकिन अभी आप उतनी पगलायी हुई नहीं हैं कि सड़कों पर अपना पेटीकोट ब्लाउज फाड़ कर चिल्लाते हुए सबको आमंत्रित करें उससे पहले आपको उपचार ले लेना चाहिये।"
आपकी इसी बात से पता चल रहा है कि आप आदमी होकर फ़ैंटेसाइज़ होने के लिये ज़ील का औरताना आवरण पहन लेते हो और फिर मेरे जैसा कोई पहलवान आपको धोबीपछाड़ मार देता है तो आप अपना पेटीकोट ब्लाउज फाड़ कर चिल्लाते हुए सबको आमंत्रित करने लगते हो बलात्कार वगैरह करने के लिये। फिर जब सब कंडोम लगा लेते हैं तो आप उसे लेडी बताने लगते हो उसका उपचार करने लगते हो उल्टा सीधा। अपनी ही पहले कही बातें काटने पीटने लगते हो। आई थिंक थोड़ी देर आप इन्हीं जैन मुनियों जैसे नंग धड़ंग होकर पथराव करते नजर आयेंगे भड़ास पर और बाकी सब भड़ासी आपकी बेवकूफ़ाना पागलपन से घबराकर भड़ास को छोड़कर भाग जायेंगे। पड़े रहना अकेले यहाँ पर पुराना कूड़ाकरकट खखोलते छपेड़ते हुये।

किलर झपाटा ने कहा…

ओ हो अब समझा तो ये हिंजड़ो का प्रभाव था रूपेशवा के ऊपर। अरे यार रूपेश पहले बताना था कि तुम (मैं हिजड़ों को आप नहीं कहता) इस फ़ेहरिस्त के इंसान (इसमें भी शंका है)हो। तभी मैं कहूँ कि ये तथाकथित भाई साहब हर किसी को बहन बहन क्यों कह रहा है ? और तो और ये सबसे पूछता भी है कि भाई कहूँ या बहन ? छी छी छी !!
अरे सुनों भड़ासियों ..... रुप्पू हिजड़े ने हिजड़ों की फ़ौज बनाई है। हा हा हा हा लो हँस दिया यू छक्के। क्या यार रूपेश बिना हथियार के ही इतना बड़ा युद्ध लड़ने चले हो पहलवान से। न तुम्मैहारे पास खम्नेबा है ना दुप्पी। सिर्फ़ लघु ऎण्ड दीर्घ शंका ?
हा हा। मैंने बिल्कुल सही कहा था कि तुम बिल्ली के गू ही हो यार न लीपत के न पोतन के।
करवा लो करवा लो हिंजड़ेश भैया आपई लोग इस हिंजड़े से इलाज। तभी तो ई ससुरा टिप्पणी रूपेश के नाम से करता रहा और ब्लॉग पर एक ठो वैश्या की तस्वीर लगाकर ज़ील बना हुआ है ताकि लोग सुन्दर फ़ोटू देखकर आकर्षित होवें और पटाने के चक्कर में टिप्पणी करें। फिर ये उन्हें लताड़े जबरन में और वे घबरा कर इसे बहन बना लें। वाह रे वृनल्लाओं। गलती से इस बार ये मुझ पहलवान के हत्थे चढ़ गये हैं। अब इनकी हो गई है उगलत लीलत पीर घनेरी।
हा हा।
आय एम नॉट गोइंग टु टॉक फ़रदर विथ दीस लैंगिक विकलांग्स। यूसलैस कन्वर्सेशन।
अरे भड़ास, इनको दस्सी-पंजी देकर भगाओ यार इस ब्लॉग से। नास कर देंगे ये भड़ास को।
छी छी जी घिनिया गया। गन्दे छक्केस।

रूपेश की अम्मा की सुलगी हुई झाँट ने कहा…

अबे झपाटे एक काम कर ना यार। तू इस हिजड़े श्रीवास्तव की मम्मी को इसके ही सामने लिटा कर भर ताकत अपना एफ़िल टॉवर जैसा लौड़ा उसकी चूत में घुसेड़ दे। जब वॊ उई माँ मैं तो मर गई करके चिल्लायेगी तब इसको समझ में आ जायेगी कि तू औरत नहीं मर्द हैं। अबे ये बहुत पुराना मुँहचोद (लौड़ा पीनेवाला) है। बस बात को पकड़े रहेगा चोदू। मतलब वतलब तो इसको किसी बात का समझ में ही नहीं आता। इस लौड़े के बाल की औकात इसी बात से पता चल रही है कि यहाँ अभी तक कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं है ये चुदौउ। तेरे हँसने पे कितना जल रहे हैं देख सबके सब।

बेनामी ने कहा…

रूपेश हिंजड़ा है हा हा हा हा हा हा हा हा

बेनामी ने कहा…

बऊ चुद गई डॉ. रूपेश की

किलर झपाटा ने कहा…

अरे यार मंडल जी, आप काहे मुझे डायरेक्ट राक्षस बतलाते हुए इस झोलाछाप रुप्पू की तरफ़दारी में उतर पड़े। इसके चक्करों में मत पड़िये। अभी आप कम से कम मर्द हैं। इस रूपेश के आसपास ज्यादा रहे ना तो ये आपको भी अपनी पगलापंथी से हिंजड़ा बना कर मंडल बहन-मंडल बहन कहने लगेगा। तब मुझसे मत कहिये कि प्यारे झपाटे तुमने मुझे पहले आगाह क्यों नहीं किया ?
कोई भी समाज दुर्भावनाओं से ग्रस्त नहीं होता ना ही उसकी शिक्षा। ये तो आदमजात है जो आपस के मतभेदों को भड़ास के रूप में एक दूसरे पर निकालने लगती है। मैने जील के ब्लॉग पर उन्हें सिर्फ़ इतना कहा था कि बिना काश्मीर समस्या को समझे बूझे उन्हें किसी को भी देशद्रोही नहीं कह देना चाहिये। बस उसके बाद से ये सारे के सारे मुझसे बड़ी बेअदबी से झगड़ पड़े। मैं आप आप करूँ ये तू तड़ाक करें। अब पटपटापट पड़ रही है तो भागते गली नहीं मिल रही रूपेश और उसकी पलटन को। इस बुद्धू को आदरणीय वादरणीय कहने की जरूरत नहीं है आपको। पागलों को कोई "आदरणीय" कहता है भला ? हा हा
चलिये आपको और भड़ास के सभी साथियों को बकरीद की बहुत बहुत मुबारकबादियाँ ।

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा ने कहा…

अब तो इसके पागल होने में कोई संदेह नहीं रहा कि प्रसिद्धि के लिये भूखा कोई आदमी ब्लॉगर बन कर ऐसी हरकतें भी कर सकता है।
जय जय भड़ास

भड़ास ने कहा…

मर गये खट गये ये सबके सब भड़ासी, मगर झपाटे तेरे से जीत नहीं सके बातों में। चूतिया जैसे इधर उधर के हथकंडे अपना रहे हैं। अबे ये तो तू भी जानता है और मैं भी कि नाम/URL वाले ऑप्शन में जाके किसी भी दूसरे का URL डाल दो तो उसी का नाम कमेंट में दिखने लगेगा। मगर ये सारे के सारे अम्माचोद ये भूल जाते हैं यहाँ जितने भी ब्लॉगर हैं सब इनकी इस तरह की बेवकूफ़ी से परिचित हैं और ये पता करने का तरीका भी जग जाहिर है। इनकी गाँड़ फ़ट के हाथ में आ गई है तेरे से लड़ते लड़्ते। ये विकार विकार करते चिल्ला रहे हैं और तू इन्हें खा पचा कर डकार वकार लेता फ़िर रहा है। बदमाश है तू बहुत।

किलर झपाटा ने कहा…

ओय क्न्फ़ुयूज़ेआज़म महाचूतिया झोलाछाप ढक्कन रुप्पू i.e. पागले के पाजामे।
मैं किल्ली तो आप बगई। आगे समाचार ये है कि आपकी खुजाल को देखते हुए मैनें अपनी दोस्टी की पेशकश वापस ली। झोलू मुझसे भारी गलती हुई कि एक महाचूतिये को ये पेशकश कर बैठा। क्योकि मुझे लगा कि शायद मैंने किसी का दिल दुखा दिया। पर दो दिन में ही मुझे अब अहसास हो रहा है कि इनके दिल की जगह भी तशरीफ़ ही हैं तो बड़ा रंज हुआ कि जिनका खून गुदाद्वार द्वारा स्वच्छ होता हो वे....... हा हा। अब लड़ ही लें रुप्पू अच्छे से। आप सब उसी बाप की पैदाइश हैं जो आपकी वल्दियत पे लिखी हैं (मुझे तो भारी शंका है एंड आय एम श्योर कि आप लोगों वल्दियत बोगस है) तो अपने अस्थिसंधान की फिर से तैयारी कर लें। (कई बार ये औषधि ले चुके हो इसका मतलब ही है कि अपनी वाहियात हरकतों से पिटे भी कई बार हो हा हा) तुम और तुम्हारी पलटन सबके सब वैश्या कैसे हो सकते हैं ? उसके लिये तो महिला होना आवश्यक है, मगर तुम सब तो शिखण्डी हो ना ? अपने नर मादा के चश्में का नम्बर तो पहले ठीक कर लो बुढऊ, इन मोतियाबिन्द वाली आँखों से कलाजंग, मुल्तानी का मुकाबला क्या होगा ? हा हा। मुझसे मुलाकात करने की इतनी जल्दी क्या है बच्चे ? क्या मुझपर मिसमिसाहट ज्यादा हो रही है ? वैसे तुम्हे खुद बतलाने की जरूरत नहीं है कि तुम एक महाचूतिया हो क्यूंकि तुम्हारे लक्षणॊं से ही जाहिर है।
मेरी तो कनमुर्री का ही इलाज है नहीं तुम्हारे झोले में हड्डियों का सिंगार करोगे क्या खाक? द ग्रेट महाचूतिया डॉ. रूपेश झोलाछाप छी बास्टर्ड सॉरी शायद कुछ और सरनेम था। जाने दो चूतियूं को क्या फ़र्क पड़ता है ? एम आय रॉंग ? हा हा

रूपेश की अम्मा की गाँड़ में हाथी का लंड ने कहा…

अबे झपाटे मैने तो तुझसे पहले ही कहा था कि ये हिंजड़ा रूपेश किसी काम का नहीं है सिर्फ़ सुबह शाम ज़ील की चूत में मुँह डालकर चूसने के इस भोस्ड़ी वाले को आता क्या है पर तू इसे दोस्त बना बैठा। ले अब भुगत। मेरी सलाह तो ये है कि तू अब इसके पीछे ही पड़ जा सब काम छोड़कर और जब तक किसी पागल साँड़ से इसकी गॉंड़ फड़वा न दो पिंड ना छोड़ो इसका ओ.के.।