- भाइयों,
- हमारे ब्लॉगजगत में एक अज़ीम शख्सियत हैं मिस्टर रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफ़िरा"
- अब जरा उनके प्रोफ़ाइल में उनके बारे में उनकी ही जुबानी पढ़ें आप लोग :-
- "मेरे बारे में
- मुझे अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा के कारण ही पत्रकारिता के क्षेत्र में 'सिरफिरा' प्रेसरिपोर्टर के नाम से पहचाना जाता है.अन्याय का विरोध करना और अपने अधिकारों हेतु जान की बाज़ी तक लगा देना.हास्य-व्यंग साहित्य,लघुकथा-कहानी-ग़ज़ल-कवितायों का संग्रह,कानून की जानकारी वाली और पत्रकारिता का ज्ञान देने वाली किताबों का अध्ययन,लेखन,खोजबीन और समस्याग्रस्त लोगों की मदद करना.एक सच्चा,ईमानदार, स्वाभिमानी और मेहनती इंसान के रूप में पहचान. मै अपने क्षेत्र दिल्ली से चुनावचिन्ह "कैमरा" पर निर्दलीय प्रत्याक्षी के रूप में दो चुनाव लड़ चुका हूँ.दिल्ली नगर निगम 2007,वार्ड न.127 व उत्तमनगर विधानसभा 2008 के दोनों चुनाव में बगैर किसी को दारू पिलाये ही मात्र अपनी अच्छी विचारधारा से काफी अच्छे वोट हासिल किये थें.मेरी फर्म "शकुंतला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन" परिवार द्वारा प्रकाशित पत्र-पत्रिकाएँ-जीवन का लक्ष्य (पाक्षिक)शकुंतला टाइम्स(मासिक),शकुंतला सर्वधर्म संजोग(मासिक),शकुंतला के सत्यवचन(साप्ताहिक) ,उत्तम बाज़ार(त्रैमासिक)"शकुंतला एडवरटाईजिंग एजेंसी"द्वारा सभी पत्र-पत्रिकायों की विज्ञापन बुकिंग होती है.निष्पक्ष,निडर,अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक,मुद्रक,संपादक,स्वतंत्र पत्रकार,कवि व लेखक"
- अब सुनिये,
- धर्म निरपेक्षता और देशप्रेम से ओतप्रोत एक बहुत अच्छी और उम्दा पोस्ट लिखने के बाद भी ये मिस्टर अपनी पोस्ट को एडवरटाइज़मेंट की स्टाइल में सभी के ब्लागों पर जा जाकर निम्न टिप्पणियों के रूप में पेल रहे हैं:- (१) श्रीमान जी, क्या आप इस नाचीज़ अनपढ़ व ग्वार इंसान की परेशानी समझ सकते है? तब आप अपने ब्लोगों पर हिंदी का विजेट लगा दें. आपकी पोस्ट पढता हूँ मगर समस्याओं के कारन बगैर टिप्पणी के लौट जाता हूँ. आप क्यों भूल रहे हैं कि-राष्ट्र के प्रति हर व्यक्ति का पहला धर्म है अपने राष्ट्र की राष्ट्रभाषा का सम्मान करना. जब आप पोस्ट हिंदी में लिखते हैं तब गुड खाकर गुलगलों से परेहज क्यों? गुस्ताखी माफ़ करें. टिप्पणी पढ़ते ही हटा देना. एक मेरा मीडिया को लेकर छोटा-सा अनुभव-एक किसी नेहा कक्कड़ ने आत्महत्या की और प्रिंट व टी.वी. चैनल ने इन्डियन आइडल फेम नेहा कक्कड़ की न्यूज चलाई और प्रिंट की. उनका घर पास था और मेरे समाचार पत्र के मेम्बर होने के कारण खोजबीन की. पूरा डाटा तैयार किया और उन सभी को लिखित में माफ़ी मांगने के लिए मजबूर कर दिया था. न्यूज जल्दी के चक्कर में खोजबीन करना पत्रकार आज भूलते जा रहे हैं, क्योंकि भौतिक वस्तुओं की चाह ने उनको उद्देश्यहीन कर दिया है. मैं पत्रकारों के ही स्टिंग ओपरेशन करता हूँ. इसलिए खुद को "सिरफिरा" कहलाता हूँ, क्योंकि सम्मानजनक पेशे में पत्रकार के नाम पर कुछ भेड़िये घुस गए और इनका सफाया हमें ही करना होगा. अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा
- (२) प्रिय दोस्तों! क्षमा करें.कुछ निजी कारणों से आपकी पोस्ट/सारी पोस्टों का पढने का फ़िलहाल समय नहीं हैं,क्योंकि 20 मई से मेरी तपस्या शुरू हो रही है.तब कुछ समय मिला तो आपकी पोस्ट जरुर पढूंगा.फ़िलहाल आपके पास समय हो तो नीचे भेजे लिंकों को पढ़कर मेरी विचारधारा समझने की कोशिश करें. दोस्तों,क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी लगाये है.इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है.मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है. क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ. अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा? यह टी.आर.पी जो संस्थाएं तय करती हैं, वे उन्हीं व्यावसायिक घरानों के दिमाग की उपज हैं. जो प्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य का शोषण करती हैं. इस लिहाज से टी.वी. चैनल भी परोक्ष रूप से जनता के शोषण के हथियार हैं, वैसे ही जैसे ज्यादातर बड़े अखबार. ये प्रसार माध्यम हैं जो विकृत होकर कंपनियों और रसूखवाले लोगों की गतिविधियों को समाचार बनाकर परोस रहे हैं.? कोशिश करें-तब ब्लाग भी "मीडिया" बन सकता है क्या है आपकी विचारधारा? अमाँ यार सिरफ़िरे भाई , दूसरों के सर पे चढ़ कर अपनी पोस्ट पढ़वाओगे क्या ? मरे जा रहो एकदम से। हाँ नहीं तो । ये मीडिया का पक्का असर लगता है आप पर। अरे जिसकी पोस्ट पढ़ रहे हो उस पर उस से संबंधित टीप करो भाई तो समझ में आता है मगर आजकल ब्लॉगरों में भी ओबामा और अमरीका की तरह ये चलन आम है कि -
चित भी मेरी, पट भी मेरी, खड्डी मेरे बाप कीअपनी धौंस जमा ली मैनें, तेरी पत्ती साफ़ की है ना ? बोलो बोलो .............................. हा हा
7 टिप्पणियां:
vaah kilar bhaai is jhpata bhre andaaz ke hi to hm gulaam hai kya diksh andaaz hai mzaa aa gyaa .. akhtar khan akela kota rajsthan
बात तो ठीक कही है आपने
झपाटा जी, प्रणाम!
ये 'सिरफिरा' जी बहुत परेशान करते हैं. अपने दर्जन भर ब्लॉग का लिंक अपनी टिप्पणी में पेल देते हैं. एक बार तो सबको मेल ही लिख मारा कि जो कोई इनके ब्लॉग पोस्ट की समीक्षा करेगा ये उसको ढाई सौ रूपये ईनाम देंगे. यह ठीक है क्या? आप ही बताइए हाँ नहीं तो. इनसे पूछा जाना चाहिए कि इस तरह से ब्लागिगं करेंगे तो लोगों का दिमाग खा जायेंगे.
आप ही अपना परशु झपाटा फरसा चलाइए अब.
प्रणाम!
अंदाज अपना निराला है.. बढिया
झपाटा जी प्रणाम!
बहुत दिन हुए नई पोस्ट नहीं आई. अपने चाहनेवालों का ख्याल करें.
शुभकामनाएं
किलर भैया, मैं फ्रेंच ओपन से बाहर होकर सबसे पहले आपका ब्लॉग देखने आई कि आपने नया क्या लिखा है. मुझे बहुत दुःख हुआ कि आपने नया पोस्ट नहीं लिखा. प्लीज किलर भैया प्लीज. लिखिए न.
अनवर जमाल साला रंडी की औलाद है.
साले को बस एक ही काम है
बच्चे पैदा करना.
लादेन की मौत के बाद बहुत दुखी था
लेकिन दिल्ली मे रामलीला मैदान मे सोनिया के हरामीपन के बाद जमालगोटा बहुत खुश है
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