किलर झपाटा जी अल्लाह तुम्हैं ज़न्नत दे अमां तुम जिस गली की पैदाइश हो उधर हम हगने जाया करते थे. एक क्रिश्चियन के खाविंद हो तुम मोमिन बने रहने का ऐलान करते हो, आज़ परस राम के फ़रसे से गोया डर गए
ठीक कहा बेनामी जी, हम जहाँ पैदा हो जाते हैं वहाँ लोग हग ही भरते हैं और अपना नाम तक भूल जाते हैं जैसे के आप। हा हा। और सुनो यू मैंटली, फ़िजिकली और टैक्निकली मिसफ़िट बेनामी, जब मेरी शादी ही नहीं हुई है तो मैं क्रिश्चियन का खाविंद कैसे हुआ? मोरओवर मैं मोमिन भी नहीं हूँ अण्डरस्टुड। और रही बात आपके परशुराम के फ़रसे से डरने की तो गये गुज़रे से डरता कौन है ? मुझे हिन्दू समझ कर बड़े खुश हो रहे हो ना कि मैने परशुराम की जय बोल दिया है ना ? ही ही, मैं वो नहीं हूँ। और सिवा मारकाट के आता क्या था तुम्हारे परशुराम को ? गणेशजी का दाँत तोड़ डाला था जब, तो दुर्गा जी से मार खाते खाते बचे थे। सब फ़रसा वरसा धरा रह जाता समझे। बात करते हो।
सच कहू तो कुछ गिने चुने ब्लाग मिले है जो सामने वाले की बोलती बंद कर देते आप भी उन में से हो जो निक्क्मों की हवा खराब कर देते हो बधाई हो ये पहलवनों वाली बात शानदार है लगे रहो
बढ़िया प्रस्तुति शुभकामनायें आपको ! आप मेरे ब्लॉग पे आये आपका में अभिनानद करता हु
दीप उत्सव स्नेह से भर दीजिये रौशनी सब के लिये कर दीजिये। भाव बाकी रह न पाये बैर का भेंट में वो प्रेम आखर दीजिये। दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाओं सहित दिनेश पारीक
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9 टिप्पणियां:
bdhaai ho bhaaijaan bdhaai ho ..akhtar khan akela kota rajsthan
थैंक्यू अकेला भाईसाहब और आपको भी बधाई हो।
झपाटा ज़ी, आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं.
आपने दिल्ली वाला पुरस्कार का फोटो नहीं दिखाया. यह शिकायत दर्ज करें.
आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं|
किलर झपाटा जी
अल्लाह तुम्हैं ज़न्नत दे अमां
तुम जिस गली की पैदाइश हो उधर हम हगने जाया करते थे. एक क्रिश्चियन के खाविंद हो तुम मोमिन बने रहने का ऐलान करते हो, आज़ परस राम के फ़रसे से गोया डर गए
ठीक कहा बेनामी जी, हम जहाँ पैदा हो जाते हैं वहाँ लोग हग ही भरते हैं और अपना नाम तक भूल जाते हैं जैसे के आप। हा हा।
और सुनो यू मैंटली, फ़िजिकली और टैक्निकली मिसफ़िट बेनामी, जब मेरी शादी ही नहीं हुई है तो मैं क्रिश्चियन का खाविंद कैसे हुआ?
मोरओवर मैं मोमिन भी नहीं हूँ अण्डरस्टुड। और रही बात आपके परशुराम के फ़रसे से डरने की तो गये गुज़रे से डरता कौन है ?
मुझे हिन्दू समझ कर बड़े खुश हो रहे हो ना कि मैने परशुराम की जय बोल दिया है ना ?
ही ही, मैं वो नहीं हूँ।
और सिवा मारकाट के आता क्या था तुम्हारे परशुराम को ? गणेशजी का दाँत तोड़ डाला था जब, तो दुर्गा जी से मार खाते खाते बचे थे।
सब फ़रसा वरसा धरा रह जाता समझे।
बात करते हो।
सच कहू तो कुछ गिने चुने ब्लाग मिले है जो सामने वाले की बोलती बंद कर देते आप भी उन में से हो जो निक्क्मों की हवा खराब कर देते हो
बधाई हो ये पहलवनों वाली बात शानदार है लगे रहो
बढ़िया प्रस्तुति शुभकामनायें आपको !
आप मेरे ब्लॉग पे आये आपका में अभिनानद करता हु
दीप उत्सव स्नेह से भर दीजिये
रौशनी सब के लिये कर दीजिये।
भाव बाकी रह न पाये बैर का
भेंट में वो प्रेम आखर दीजिये।
दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाओं सहित
दिनेश पारीक
बढ़िया प्रस्तुति शुभकामनायें आपको !
आप मेरे ब्लॉग पे आये आपका में अभिनानद करता हु
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रौशनी सब के लिये कर दीजिये।
भाव बाकी रह न पाये बैर का
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