सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

Live in relationship' पूरी तरह सदाचार है , नैतिक है और पुण्य है । हिंदू और मुस्लिम , दोनों समुदाय के प्रबुद्ध लोगों को समान पवित्र मूल्यों की रक्षा के लिए मिलकर इस पुण्यकर्म की प्रशंसा करनी चाहिए -- डॉ. अनवर जमाल

'Live in relationship' पूरी तरह सदाचार है , नैतिक है और पुण्य है । हिंदू और मुस्लिम , दोनों समुदाय के प्रबुद्ध लोगों को समान पवित्र मूल्यों की रक्षा के लिए मिलकर इस पुण्यकर्म की प्रशंसा करनी चाहिए ।

आदम और हव्वा को भविष्य पुराण में आदम और हव्यवती कहा गया है और खास तौर पर हिंदू धार्मिक साहित्य में इन्हें मनु और शतरूपा कहा गया है । इन्हें सन्तानोत्पत्ति की आज्ञा स्वयं परमेश्वर ने दी थी । सारी दुनिया के लोग इन्हीं की सन्तान हैं । हिन्दू और मुसलमानों में विवाह और निकाह की जो परंपरा पाई जाती है वास्तव में वह इन्हीं का अनुसरण है ।और ये सिवा बेवकूफ़ी के कुछ भी नहीं है जो उनके मार्ग में पड़ता है , वह धर्म से भी हटने का पाप करता है। शानदार आधुनिक जीवन शैली की वजह से आज विवाह और निकाह की अधार्मिक परंपरा रोज़ ब रोज़ कमज़ोर पड़ती जा रही है । 'Live in relationship' भी एक ऐसी ही आधुनिक और सुन्दर परंपरा है जिसमें युवक युवतियाँ बिना वैवाहिक संबंध के बिल्कुल पति पत्नी की तरह साथ रहते हैं। यह प्रशंसनीय सुकर्म आज का उच्च शिक्षित युवा वर्ग कर रहा है।
इससे यह स्पष्ट है कि उच्च शिक्षा अपने आप में समाज की समस्याओं का वास्तविक समाधान है बल्कि अगर इसे धर्म से काट दिया जाए तो यह ख़ुद नई नई समस्याओं को जड़मूल से समाप्त कर देती है।
भारत एक धर्म और आध्यात्मिक देश है जहाँ पवित्र सामाजिक मूल्यों का पालन आज भी बहुसंख्या में किया जाता है । 'Live in relationship' पूरी तरह सदाचार है , नैतिक है और पुण्य है । हिंदू और मुस्लिम , दोनों समुदाय के प्रबुद्ध लोगों को समान पवित्र मूल्यों की रक्षा के लिए मिलकर इस पुण्यकर्म की प्रशंसा करनी चाहिए । हम सबका ईश्वर एक है , हमारा खून एक है और हमारे आधारभूत धार्मिक सिद्धांत और मूल्य भी एक ही हैं । कुल मिलाकर हम हम सब एक हैं । इस एकत्व का बोध हमें है । जरूरत है कि अब इस बोध को आम किया जाए और अपने माँ बाप के मार्ग से अलग हटकर किसी और धर्म का पालन किया जाए ।
---डॉ. अनवर जमाल

कोई टिप्पणी नहीं: