अभी अभी खुशदीप सहगल भाईसाहब की एक बहुत ही मज़ेदार पोस्ट कुर्सी पे बैठा एक कुत्ता...खुशदीप पढ़ी। मज़ा आ गया मगर आप एक बात बताइए ? अचानक हैडिंग पढ़ने से क्या आभास हो रहा है ? हा हा। अब मेरे को कुछ मत बोलना आप लोग। मैं सिर्फ़ मज़ाक कर रहा हूँ। खुशदीप भैया, दुष्ट बेनामियों के आने के पहले जल्दी इस इंबैलेंस हैडिंग को ठीक करो नहीं तो, मैं नहीं जानता फ़िर ! हा हा जस्ट जोकिंग सीरियसली मत लेना। ओ.के.
गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011
सोमवार, 7 फ़रवरी 2011
हमारी वाणी के नाम खत
प्रिय हमारी वाणी जी,
आपका बहुत बहुत धन्यवाद के आपने मुझे निलंबित कर दिया। मगर मैं तो हिन्दी ब्लॉगिंग को ही लंबित होते देख रहा हूँ। मुझे यह जानकर कतई आश्चर्य नहीं हुआ। क्योंकि मुझे मालूम है कि आपके यहाँ दर्ज ब्लॉगर दरअसल ब्लॉगर नहीं टिप्पणीबाज़ हैं। हमारे यहाँ ब्लॉग पोस्टों की जगह टिप्पणियों को ज़्यादा तवज्जो दी जाती है। लोगों का पोस्ट पर ध्यान कम और टिप्पणियों पर ज़्यादा होता है। यदि ब्लॉग भी मॉडरेट कर दिया जावे तो ब्लॉग कैसा ? मैनें अपनी किसी पोस्ट में किसी को बुरा नहीं कहा। इससे बुरी बुरी बातें ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत के ज़माने में हो चुकी हैं। तब निलंबन की बातें न हुईं। मेरा निलंबन तो कर दिया मगर डॉ. अनवर जमाल और उनके जैसे धार्मिक उन्माद फ़ैलाने वालों पर आपके सलाहकार मंडल की निगाह नहीं गई कभी। आपके सलाहकार मंडल में आखिरकार हैं ही कौन ? वही जो दिन भर अपनी पोस्टें लिख लिख कर उन्हें ब्लॉगरों को पढ़ने को मजबूर करते हैं मगर अन्य किसी पोस्टों को कोई ध्यान नहीं दे पाता। आपने कहा है "हमारीवाणी की नीति है कि ऐसे ब्लागों को जिन की पोस्टों में या टिप्पणियों में अश्लील व अपमानजनक भाषा, यौनिक गालियों, आदि का प्रयोग होता है, उन्हें हमारीवाणी का सदस्य बने रहने का अधिकार नहीं है।"
अजी मैं कहता हूँ कि जो हमारी वाणी जमाल जैसे खिलंदडे़ किस्म के लेखकों की दूकान बन गई हो उस पर बने रहना मुझ जैसे यज्ञशील ब्लॉगर की शान के खिलाफ़ है अत: ..............................
आपका बहुत बहुत धन्यवाद के आपने मुझे निलंबित कर दिया। मगर मैं तो हिन्दी ब्लॉगिंग को ही लंबित होते देख रहा हूँ। मुझे यह जानकर कतई आश्चर्य नहीं हुआ। क्योंकि मुझे मालूम है कि आपके यहाँ दर्ज ब्लॉगर दरअसल ब्लॉगर नहीं टिप्पणीबाज़ हैं। हमारे यहाँ ब्लॉग पोस्टों की जगह टिप्पणियों को ज़्यादा तवज्जो दी जाती है। लोगों का पोस्ट पर ध्यान कम और टिप्पणियों पर ज़्यादा होता है। यदि ब्लॉग भी मॉडरेट कर दिया जावे तो ब्लॉग कैसा ? मैनें अपनी किसी पोस्ट में किसी को बुरा नहीं कहा। इससे बुरी बुरी बातें ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत के ज़माने में हो चुकी हैं। तब निलंबन की बातें न हुईं। मेरा निलंबन तो कर दिया मगर डॉ. अनवर जमाल और उनके जैसे धार्मिक उन्माद फ़ैलाने वालों पर आपके सलाहकार मंडल की निगाह नहीं गई कभी। आपके सलाहकार मंडल में आखिरकार हैं ही कौन ? वही जो दिन भर अपनी पोस्टें लिख लिख कर उन्हें ब्लॉगरों को पढ़ने को मजबूर करते हैं मगर अन्य किसी पोस्टों को कोई ध्यान नहीं दे पाता। आपने कहा है "हमारीवाणी की नीति है कि ऐसे ब्लागों को जिन की पोस्टों में या टिप्पणियों में अश्लील व अपमानजनक भाषा, यौनिक गालियों, आदि का प्रयोग होता है, उन्हें हमारीवाणी का सदस्य बने रहने का अधिकार नहीं है।"
अजी मैं कहता हूँ कि जो हमारी वाणी जमाल जैसे खिलंदडे़ किस्म के लेखकों की दूकान बन गई हो उस पर बने रहना मुझ जैसे यज्ञशील ब्लॉगर की शान के खिलाफ़ है अत: ..............................
और सुनिए यह बात याद रखिए के आप मात्र एक ऎग्रीगेटर हैं सम्पूर्ण ब्लॉगजगत के ठेकेदार नहीं। धन्यवाद।
Live in relationship' पूरी तरह सदाचार है , नैतिक है और पुण्य है । हिंदू और मुस्लिम , दोनों समुदाय के प्रबुद्ध लोगों को समान पवित्र मूल्यों की रक्षा के लिए मिलकर इस पुण्यकर्म की प्रशंसा करनी चाहिए -- डॉ. अनवर जमाल
'Live in relationship' पूरी तरह सदाचार है , नैतिक है और पुण्य है । हिंदू और मुस्लिम , दोनों समुदाय के प्रबुद्ध लोगों को समान पवित्र मूल्यों की रक्षा के लिए मिलकर इस पुण्यकर्म की प्रशंसा करनी चाहिए ।
आदम और हव्वा को भविष्य पुराण में आदम और हव्यवती कहा गया है और खास तौर पर हिंदू धार्मिक साहित्य में इन्हें मनु और शतरूपा कहा गया है । इन्हें सन्तानोत्पत्ति की आज्ञा स्वयं परमेश्वर ने दी थी । सारी दुनिया के लोग इन्हीं की सन्तान हैं । हिन्दू और मुसलमानों में विवाह और निकाह की जो परंपरा पाई जाती है वास्तव में वह इन्हीं का अनुसरण है ।और ये सिवा बेवकूफ़ी के कुछ भी नहीं है जो उनके मार्ग में पड़ता है , वह धर्म से भी हटने का पाप करता है। शानदार आधुनिक जीवन शैली की वजह से आज विवाह और निकाह की अधार्मिक परंपरा रोज़ ब रोज़ कमज़ोर पड़ती जा रही है । 'Live in relationship' भी एक ऐसी ही आधुनिक और सुन्दर परंपरा है जिसमें युवक युवतियाँ बिना वैवाहिक संबंध के बिल्कुल पति पत्नी की तरह साथ रहते हैं। यह प्रशंसनीय सुकर्म आज का उच्च शिक्षित युवा वर्ग कर रहा है।
इससे यह स्पष्ट है कि उच्च शिक्षा अपने आप में समाज की समस्याओं का वास्तविक समाधान है बल्कि अगर इसे धर्म से काट दिया जाए तो यह ख़ुद नई नई समस्याओं को जड़मूल से समाप्त कर देती है।
भारत एक धर्म और आध्यात्मिक देश है जहाँ पवित्र सामाजिक मूल्यों का पालन आज भी बहुसंख्या में किया जाता है । 'Live in relationship' पूरी तरह सदाचार है , नैतिक है और पुण्य है । हिंदू और मुस्लिम , दोनों समुदाय के प्रबुद्ध लोगों को समान पवित्र मूल्यों की रक्षा के लिए मिलकर इस पुण्यकर्म की प्रशंसा करनी चाहिए । हम सबका ईश्वर एक है , हमारा खून एक है और हमारे आधारभूत धार्मिक सिद्धांत और मूल्य भी एक ही हैं । कुल मिलाकर हम हम सब एक हैं । इस एकत्व का बोध हमें है । जरूरत है कि अब इस बोध को आम किया जाए और अपने माँ बाप के मार्ग से अलग हटकर किसी और धर्म का पालन किया जाए ।
---डॉ. अनवर जमाल इससे यह स्पष्ट है कि उच्च शिक्षा अपने आप में समाज की समस्याओं का वास्तविक समाधान है बल्कि अगर इसे धर्म से काट दिया जाए तो यह ख़ुद नई नई समस्याओं को जड़मूल से समाप्त कर देती है।
भारत एक धर्म और आध्यात्मिक देश है जहाँ पवित्र सामाजिक मूल्यों का पालन आज भी बहुसंख्या में किया जाता है । 'Live in relationship' पूरी तरह सदाचार है , नैतिक है और पुण्य है । हिंदू और मुस्लिम , दोनों समुदाय के प्रबुद्ध लोगों को समान पवित्र मूल्यों की रक्षा के लिए मिलकर इस पुण्यकर्म की प्रशंसा करनी चाहिए । हम सबका ईश्वर एक है , हमारा खून एक है और हमारे आधारभूत धार्मिक सिद्धांत और मूल्य भी एक ही हैं । कुल मिलाकर हम हम सब एक हैं । इस एकत्व का बोध हमें है । जरूरत है कि अब इस बोध को आम किया जाए और अपने माँ बाप के मार्ग से अलग हटकर किसी और धर्म का पालन किया जाए ।
शनिवार, 5 फ़रवरी 2011
डॊ. अनवर जमाल को सवार हुई पोस्ट लिखने की सनक
प्रिय ब्लॉगर बंधुओं,
लेबल:
सनके-अनवरे-जमाल
सदस्यता लें
संदेश (Atom)