दिग्गीजी को झूठ बोलने की लत लग गई..कुछ भी उलटा-सुलटा किया... झूठ बोला..और जान बचा ली..स्कूल का होमवर्क नहीं किया तो पिताश्री के एक्सीडेंट तक का बहाना बना लिया...टीचर बजाए डांटने के और हमदर्दी जताने लगती...लेकिन धीरे-धीरे दिग्गीजी की कलई खुलने लगी और शिकायतें घर तक पहुंचने लगीं..(माताश्री) और (पिताश्री) दोनों परेशान...दिग्गीजी का करें तो करें क्या...भला हो पिताश्री के एक साइंटिस्ट दोस्त का, उसने माज़रा भांप लिया...साइंटिस्ट साहब ने समाधान सुझाया कि वो ऐसा रोबोट दिला सकते हैं जो झूठ सुनते ही बोलने वाले के गाल पर झन्नाटेदार झपाटा i.e. चांटा रसीद करता है...झूठ बोलने वाले को दिन में ही तारे नज़र आने लगते हैं...ये सुनकर पिताश्री-माताश्री दोनों बेहद खुश..साइंटिस्ट से बोले..हमें इसी वक्त वो रोबोट दिलाओ...खैर रोबोट घर आ गया..दिग्गीजी रोबोट से बेखबर घर पर आए..स्कूल छूटता था 2 बजे और दिग्गीजी घर पर शाम को 6 बजे आए...माताश्री-पिताश्री ने पूछा...कहां थे अब तक...दिग्गीजी ने तपाक से कहा..वो दोस्त के घर पर भजन था...वहीं गया था... दिग्गीजी को पता नहीं था, पर्दे के पीछे रोबोट छुपा था..रोबोट बिना वक्त गंवाए बाहर आया और तड़ाक से दिग्गीजी के गाल पर प्रसाद दे दिया...पिताश्री फौरन समझ गए..दिग्गी ने झूठ बोला है...बोले...सच-सच बताओ..कहां गए थे...दिग्गी ने सच बोलना ही बेहतर समझा..वो..वो..दोस्तों के साथ फिल्म गया था...पिताश्री फौरन बोले...शर्म तो नहीं आती होगी, हम तुम्हारी उम्र के थे तो दिन-रात पढ़ाई के सिवा और कुछ नहीं सोचते थे...ये सुनते ही रोबोटजी मुड़े और पिताश्री के गाल पर भी एक जड़ दिया...पिताश्री का झूठ पकड़े जाने पर माताश्री को मौका मिल गया...बोलीं...देखा, आखिर है तो आप ही का बेटा न..जैसा बेटा, वैसा बाप...माताश्री के ये बोलते ही रोबोट धीरे से आया और एक उनके गाल पर भी धर दिया...
ही ही ही
हँसियेगा मत इस रोबोट झपाटे का कोई भरोसा नहीं ।
ही ही ही
हँसियेगा मत इस रोबोट झपाटे का कोई भरोसा नहीं ।