प्यारे दोस्तों,
ताज़ा समाचार यह है कि हिन्दी ब्लॉग जगत के एक प्रकांड चोर "बंटी" ने, आजकल सभी किस्म की ब्लॉग पहेलियों का कबाड़ा कूट के रख दिया है। भाई क्या करता है कि हर एक पहेली का पहले ही उत्तर प्रकाशित कर देता है। ऎसे में पहेलियों की रोचकता ही समाप्त हो जाती है और पहेली पूछने वाला बंटी चोर से रिक्वेस्ट ही करता रह जाता है कि, बंटी भैया प्लीज़ इस पहेली का जवाब इतनी जल्दी मत दीजिए, प्ली............ज़।
हा हा, मगर चोर तो चोर ही है और वो भी बंटी ?? मानता ही नहीं बताए बिना। हा हा।
मज़े की बात यह है कि आजकल सभी पहेलिए एक नई पहेली खुद ही बूझने में लगे हैं के---
हू द हैल इस दिस " बंटी चोर " ???????????? हा हा हा
ताऊ भाई साहब की पहेलियों की भी इसी वजह से हवा निकली हुई है।
वैसे भी निकलनी ही थी।
बंटी चोर के ब्लॉग पर किसी बेनामी ने ताऊ को बंदर की औलाद तक कह दिया है। गंदी बात है यह। ऎसा नहीं कहना चाहिए । ठीक है कि आप उनके रामप्यारे, रामप्यारी, झट्का वगैरह को पसंद ना करते हों तो भाई उनके ब्लॉग पर न जाओ। मगर अन्नानिमस बन कर ये सब करना उचित नहीं है। मत भूलो कि वो चिट्ठाजगत में टॉप रेंक पर हैं। उड़न तश्तरी के भी ऊपर। यही तो हिन्दी ब्लॉगजगत की विशेषता है कि जानवरों को हम इतना अधिक प्यार करते हैं कि पशुता को भी ऊँचे स्तर के साहित्य से भी ऊपर मानते हैं। याने सबको बराबर का स्थान मिलता है है यहाँ। ब्लॉग है काहे के लिए ? जिंदगी को आनंद दिलाने के लिए।
तो क्या ताऊ की बातें जो इतनी मेहनत से बनाते हैं, आप लोगों को खराब लगती हैं ? उसमें आपको आनंद नहीं आता ?
आप बेनामी हैं तो बस ..........कुछ भी कह डालते हैं। मत कीजिए ऐसा।
अरे हाँ तो हम बंटी चोर की बात कर रहे थे और ताऊ में उलझ कर रह गए। अभी इस चोर का सही उद्देश्य किसी को समझ नहीं आया है। आगे क्या और कहाँ तक चोरी होती है, अच्छी चोरी या बुरी चोरी ....... क्या पता ?
पर मजा तो भरपूर आ रहा है।
जय हो।